Bhoot Wala Kahani- भूत वाली कहानी

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नमस्कार दोस्तों हम आशा करते हैं की आप सब ठीक होंगे | आज हम आपके लिए भूत कहानी का कहानी ले कर आया हूं आप इसे पढ़कर सच में डर जाएंगे उम्मीद है आपको हमारी भूत वाली कहानी  पसंद आयेगा |

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Bhoot Wala Kahani
भूत वाली कहानी


भूत वाली कहानी Bhoot Wala Kahani


भूत प्रेत की कहानियां एक दिन की बात हैं , ठंड का समय था घना कोहरा छाया था सारे लोग जल्दी
कार्यालय का काम ख़त्म करके घर की तरफ निकल रहे थे दादा जी उस समय के बड़े अधिकारियों मे से एक
थे  वे उस समय के उच्च वर्ग के लोगों मे एक अमीन का काम करते थे 

रोज की तरह ही उस दिन कम ख़त्म होने के बाद घर के लिए अपनी गाड़ी से रवाना होने लगे ! रास्ते में उन्हे हाट
से कुछ समान भी लेना था तो वे और साथियों से अलग हो गये ! उन्होने घर की कुछ जरूरत के समान लिए और
गाड़ी आगे बढ़ा दी 

आगे जाने पर उन्हे कुछ मछली बाज़ार दिखा और वे मछली खरीदने के लिए रुक गये ! ताज़ी मछलियाँ लेने
और देखने मे टाइम ज़्यादा ही गुजर गया ! उनकी जब अपनी घड़ी पर नज़र गई तो उन्हे आभास हुआ की आज
तो घर जाने मे बहुत देर हो जाएगी 

और ये सब लेकर घर पहुचने मे काफ़ी समय लग जाएगा ! फिर यही सब सोच कर उन्होने सोचा कि वक्यू ना जंगल
के रास्ते से निकला जाए तो जल्दी पहुँच जाऊँगा ! तो उन्होने अपना रास्ता बदला और जंगल की तरफ़ अपनी

गाड़ी को घुमा लिया ! समय 11 बज चुका था गाड़ी तेज रफ़्तार से आगे बढ़ रहां था तभी अचनाक तेज ब्रेक के
साथ गाड़ी को रोकना पड़ा उनकी गाड़ी के आगे एक अचानक एक औरत आ जाती है और वह रो रही थी!

उन्होने सोचा इस वीराने मे ये औरत क्या कर रही हैं उन्हे लगा की कोई मजदूर की पत्नी होगी जो नाराज़ होकर
घर छोड कर जगल मे भाग आई हैं तो उन्होने उससे पूछा की यहाँ जंगल मे तुम क्या कर रही हो
लकिन उसने कोई जवाब न देकर और ज़ोर से रोने लगी! सारे जंगल मे उसकी हूँ सी सिसकियाँ ज रही थी!

 फिर दादा जी ने पूछा तुम्हारा घर कहाँ हैं लेकिन वो कुछ भी ना बोली! तब दादा जी ने कहा की आज
चलो मेरे घर मे रहना सुबह अपने घर चली जाना या जंगल मैं बहुत सारे जंगली जानवर से भरा हे रात भर यहाँ
मत रूको चलो आज मेरे घर मे सब के लिए खाना बना देना और कल सुबह अपने घर चली जाना ! 

उसने ये सुना तो झट से गाड़ी के पीछे की सीट पर बैठ गई सिर मे बड़ा घूँघट 
डालने की वजह से उसका चेहरा छिपा हुआ था
 
कुछ ही देर मे गाडी घर के दरवाजे पे थी घर के लोगकब से उनकी राह देख रहे थे गाड़ी रुकते ही दादा ने
पूछा आज तो बहुत देर हो गई और सारे लोग आ भीचुके हैं 

तब उन्होने सारी बातें अपनी माँ को बताई और कहा की आज खाना इससे बनवा लो कल सुबह ये अपने
घर चली जाएगी! इतनी रात को बेचारी जंगल मे कहा भटकती ! इसलिए मैं ले आया ! 

पर दादा को कुछ संदेह हो रहा था की कहीं चोर तो नहीं हे रात को सोने के बाद या खाना बनाते समय कहीं घर के सामान ही चुरा कर ना ले जाए! 

पर बेटे की बात को कैसे माना करती उन्होने उस औरत को कहा देखो आज तो मैं रख ले रही
हूँ लेकिन कल सुबह होते ही यहाँ से चली जाना

और जाओ रसोई मे ये समान उठा कर ले जाओ और खाना बना दो उसने जवाब नहीं दिया 
 बस उसके मुंह से हूँ की आवाज बाहर आयी 

और वो सारा सामान लेकर ! रसोई मे सारा सामान रखवा कर माता जी ने उसे खाना जल्दी बनाने को कहींऔर वहाँ से चली गई लेकिन उनका मन कुछ परेसान सा थाफिर 10 मिनट मे रसोरे मे उसे देखने चली गई की वो क्या कर रही हे

और उसका चेहरा भी देखना चाहती थी लेकिन वहाँ पहुची तो देखा की वो मछलियों का थैला निकल रही थी उन्होने बहुत ज़ोर से गुस्से मे कहा यहाँ सब खाने का इंतजार कर रहे हे और तुम अभी तकमछलियाँ ही निकल रही हो कल सुबह तक बनाओगी

क्या उसके सिर पर घुंघट अभी भी था तो चेहरा देखना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था उन्होने उससे कहा तुम जल्दी से खाने की तैयारी करो मैं आग सुलगा देती हूँ काम जल्दी हो जाएगा और वे जल्दी से चूल्हा जलाने की तैयारिया करने लगी लेकिन

साथ ही वो उसका चेहरा देखने की भी कोशिश कर रही थी लेकिन वो जितना देखने की कोशिश करती वो और
पल्लू खींच लेती अंत मे हार कर वे बोली देखो मैने आग सुलगा दी हैं अब आगे सारा काम कर लो कुछ ज़रूरत हो तो बुला लेना 

लेकिन वो फिर कुछ नहीं बोली अब उन्हें लगा की यहाँ से जाने मे ही ठीक हैं वरना मेरा भी समय खराब होगा और हो सकता हैंअंजान लोगों से डर रही हो  ये सब सोच कर उन्होंने उसे कहा की मैं आ रही हूँ जल्दी से खाना बना कर रखना 

और वहाँ से निकल गई मन अभी तक परेसांन ही था कभी अपने कमरे कभी बच्चों के कभी बाहर सब को देख रही थी कहीं कुछ अनहोनी ना हो जाए एक मिनट भी आराम से नहीं बैठ पाई अभी पाँच मिनट ही हुए थे पर उनके लिए वो घड़ी पहाड़ सी हो रही थी समय बीत ही नहीं रहा था आठ मिनट बड़ी मुश्किल से गुज़रे और वे तुरंत ही कुछ सोच कर

रसोरे की तरफ दौड़ी और वहाँ पहुँच कर आया जैसे ही उन्होने रसोई घर का नज़ारा देखा उनकी नेआँखे फटी की फटी रह गई उनके पैर बिल्कुल ही जम गये ना उनसे आगे जाया जा रहा था ना ही पीछे उनके हृदय की धडक  रुक रही थी 

वो औरत रसोरे मे बैठ कर सारी कच्ची मछलिया खा रही थी सारे रसोरे में मछलियाँ और खून बिखरा पड़ा था उसके सिर से घट भी उतरा पड़ा था इतना भयानक चेहरा आज तक उन्होने नहीं देखा था बाल. नाखून सब बढ़े हुए थे मछलियाँ खाने मे मगन होने की वजह से उसे कुछ ध्यान भी नहीं था 

और खुशी से कभी वो आवाज़े भी निकल रही थी हूँ हूँ सी आवाज़े यूँज रही थी ! रसोरा पिछवारे मे होने की वजह से और लोगों का ध्यान भी उधर नही आ रहा था माँ को भी कुछ नहीं समझ आ रहा था कि चिल्लाने से कहीं घर के लोगों को नृकसान ना पहुचाए 

वो चुडैल से अपने घर को कैसे बचाए उन्हे समझ नहीं आ रहा था  बस भगवान का नाम ही उनके दिमाग़ मे आ रहा था अचानक वे आगे बढ़ने लगी उसकी तरफ और झट से एक थाल लिया और चूल्हे की तरफ दौड़ी उस चुरैल की नज़र भी दादा पर पड़ चुकी थी सो वो भी कुछ सोच कर उठी अपनी जगह से !माँ कुछ भी देर नहीं करना चाहती थी
 
उन्हे पता था की आज अगर ज़रा सी भी लापरवाही हुई तो अनहोनी हो जाएगी !उस चुरैल के कुछ करने से पहले ही उन्हे चूल्हे तक पहुचना था और चूल्हे के पास पहुँच कर उन्होने जलता हुआ कोयला थाल मे भर लिया और चुडैल की तरफ लेकर जोर से फेंका आग की जलन की वजह से वो अजीब सी डरावनी आवाज़े निकालने लगी 

अब तो उसकी आवाज़े बाहर भी जा रही थी सारे लोग बाहर से रसोरे की तरफ भागे वो चुडैल ज़ोर से हैं हूँ जोर की आवाज़ निकल रही थी और पूरे रसोरे मे दौड़ रही थी और माता जी को पकड़ना भी चाह रही थी ! लेकिन अब सारे लग रसोरे मे आ चुके थे काफी लोगों की भीड़ देख कर वो और भी डर गयी थी 

लोंगों की भीड़ को थेलती हुई वो बाहर जगल की तरफ भाग गये और सारे लोग ये मंज़र देख कर डरे साहमे से खड़े थे और मन हीं मन माता जी की हिम्मत की दाद दे रहे थे तो ऐसे छूटा चुरैल से पीछा समाप्त

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दोस्तों उम्मीद करता हूं कि आज कि यह Bhoot Wala Kahani और भूत वाली कहानी  कहानी आप लोगों को जरूर पसंद आई होगी कि दोस्तों हमें Comment करें बताएं कहानी कैसी लगी आपको

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